Motivational Shayari
जरूरत नहीं फ़िक्र हो तुम कर न पाऊं कहीं भी वो जिक्र हो तुम|ज़िक्र शायरी 2 लाइन – Zikr Status
जरूरत नहीं फ़िक्र हो तुम कर न पाऊं कहीं भी वो जिक्र हो तुम
दोस्तों फेसबुक शायरी के इस Post की Topic “Zikr Shayari” हैं. इसमें आप पढ़ सकते हैं ज़िक्र शायरी 2 लाइन, ज़िक्र शायरी in Urdu, Zikr Status, ज़िक्र शायरी 4 लाइन, पर बनी बेजोड़ शानदार ज़िक्र शायरी को, मित्रो आशा करता हूँ कि यह पोस्ट आप सभी शायरी के चाहने वालो को बेहद पसंद आएगी.
जरूरत नहीं फ़िक्र हो तुम कर न पाऊं कहीं भी वो जिक्र हो तुम
तेरा ज़िक्र मेरी इबादत हैं सनम।
मत रोको दुनिया वालों मेरा सनम ख़ुदा है।।
◼2
जिक्र अधूरी मोहब्बत का
किसी से ना करना।
मैं खुद सबसे कह दूंगा की
उन्हें फुरसत नही मिलती।।
◼3
दिल में तेरी ही यादें हैं जुबां पे तेरा ही ज़िक्र है।
मैं कहता हूँ ये इश्क़ है तू कहती है बस फ़िक्र है।।
◼4
ये तेरा ज़िक्र है या इत्र है
जब-जब करती हूँ।
महकती हूँ, बहकती हूँ, चहकती हूँ।।
◼5
न ज़िक्र तक करते कभी हम अपनी ज़ुबान से।
पर सोचा बिना सितम के भी क्या दास्तां होगी।।
ज़िक्र शायरी
◼6
सारी सारी रात सितारों से उसका ज़िक्र होता है।
और उसको ये गिला है के हम याद नहीं करते।।
◼7
पूछा न जिंदगी में किसी ने भी दिल का हाल।
अब शहर भर में ज़िक्र मेरी खुदकुशी का है।।
Punchha Na Zindagi Me Kisi Ne Bhi Dil Ka Haal।
Ab Shahar Bhar Me Zikr Meri Khudkhushi Ka Hai।।
इन्हे भी पढ़े:-
◼8
जो सामने जिक्र नही करते।
वो दिल ही दिल मे बहुत फिक्र करते हैं।।
Jo Saamane Zikr Nahi Karate।
Wo Dil Hi Dil Me, Bahut Fikr Karate Hai।।
Zikr Shayari
◼9
जरूरत नहीं फिक्र हो तुम,
कर ना पाऊँ कहीं भी।
वो जिक्र हो तुम।।
◼10
फ़िक्र तो तेरी आज भी है।
बस जिक्र का हक नही रहा।।
Fikar To Teri Aaj Bhi Hai।
Bas Jikar Ka Haq Nahi Raha।।
ज़िक्र शायरी in Urdu
◼11
उस ख़्याल पर ही मुझे
प्यार आ जाता है।
ज़िक्र जिसमें तेरा
इक बार आ जाता है।।
Us Khayal Par Hi Mujhe
Pyar Aa Jata Hai।
Zikr Jismen Tera
Ek Baar Aa Jata Hai।।
◼12
छू गया जब कभी ख्याल तेरा,
दिल मेरा देर तक धड़कता रहा।
कल तेरा ज़िक्र छिड़ गया घर में,
और घर देर तक महकता रहा।।
◼13
भर जायेंगे ज़ख़्म भी तुम ज़माने से ज़िक्र ना करना।
ठीक हूँ मैं तुम मेरे दर्द की फिकर ना करना।।
◼14
है एहतराम भी लाज़िम कि।
ज़िक्र है उनका।।
◼15
मेरी शायरी में सनम. तेरी कहानी है।
जिसके आधे हिस्से मे तेरा ज़िक्र आधे में मेरी दीवानगी है।।
◼16
तू न कर ज़िक्र-ए-मोहब्बत कोई गम नहीं।
तेरी ख़ामोशी भी सच बयाँ कर देती है।।
◼17
ज़िक्र जब होगा मोहब्बत में तबाही का कहीं ।
याद हम आएँगे दुनिया को हवालों की तरह।।
सुदर्शन फ़ाक़िर
◼18
जहाँ भी ज़िक्र हुआ प्यार का।
वहीं तुमसे नज़र मिलाने की तलब लगी।।
◼19
कुछ इस तरह वो मेरी बातों का ज़िक्र किया करती है।
सुना है वो आज भी मेरी फिक्र किया करती है।।
◼20
आजमाते हैं लोग सब्र मेरा।
करके बार बार जिक्र तेरा।।
◼21
मोहब्बत की महफ़िल में आज मेरा ज़िक्र है।
अभी तक याद हूँ उसको खुदा का शुक्र है।।
ज़िक्र शायरी in Urdu
◼22
मुझे पढ़ते रहना।
चुपके से तेरा ज़िक्र करुगी एक दिन।।
◼23
अब तेरा ज़िक्र नही,
अब तेरी फ़िक्र नही।
क्यू की तू वो नही रहा
जिससे मैने, मोहब्बत की थी।
अब तू बन चुका है वो
जिसके बारे मैने कभी सोचा भी नही।।
Ab Tera Zikar Nahi,
Ab Teri Fikar Nahi।
Kyu Ki tu Who Nahi raha
Jise Maine Mohabbat Ki Thi।
Ab Tu Ban Chuka Hai Wo
Jiske Baare Maine Kabhi Socha bhi Nah
____________________________________