Top99 Best heart touching mirza ghalib shayari in Hindi
heart touching mirza ghalib shayari in hindi – मिर्ज़ा असदुल्लाह बेग ख़ान को मिर्ज़ा “ग़ालिब” के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय कवि थे। यहां हमारे पास मिर्जा गालिब शायरी का सबसे अच्छा संग्रह है। ये मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी अद्भुत और समझने में आसान हैं। इस लेख में ज़िंदगी पर ग़ालिब शायरी, हिंदी में ग़ालिब शायरी, उर्दू में ग़ालिब शायरी, ग़ालिब की शायरी, प्यार पर ग़ालिब शायरी आदि शामिल हैं।
यहां आप छवियों के साथ कुछ अच्छी गुणवत्ता वाली ग़ालिब शायरी पा सकते हैं जिन्हें आप आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं और अपने सोशल मीडिया पर साझा कर सकते हैं, ये मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी निश्चित रूप से आपके क्रश, पति/पत्नी, प्रेमिका/प्रेमी और दोस्तों और परिवार को आकर्षित करेंगी।
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Ghalib Shayari
Huyi Muddat Ke Ghalib Mar Gaya
Par Yaad Aata Hai
Woh Har Ek Baat Pe Kehna
Ke Yun Hota Toh Kya Hota
हुई मुद्दत कि ग़ालिब मर गया
पर याद आता है
वो हर इक बात पर कहना
कि यूँ होता तो क्या होता
Tha Zindagi Mein Marg Ka Khatka Laga Hua
Udne Se Peshtar Bhi Mera Rang Zard Tha
था ज़िन्दगी में मर्ग का खटका लगा हुआ
उड़ने से पेश्तर भी मेरा रंग ज़र्द था
Zindagi Apni Jab Is Shaqal Se Guzari Ghalib
Hum Bhi Kya Yaad Karenge Ke Khuda Rakhte The
ज़िन्दगी अपनी जब शक़ल से गुज़री ग़ालिब
हम भी क्या याद करेंगे के खुदा रखते थे
Piyun Sharab Agar Khum Bhi Dekh Lu Do Char
Yeh Shisha-O-Kahad-O-Kuza-O-Subu Kya Hain
पियूँ शराब अगर ख़ुम भी देख लूँ दो चार
ये शीशा-ओ-क़दह-ओ-कूज़ा-ओ-सुबू क्या है
Chipak Raha Hai Badan Par Lahu Se Pairahan
Hamari Zeb Ko Ab Hajat-E-Rafu Kya Hai
चिपक रहा है बदन पर लहू से पैराहन
हमारी ज़ेब को अब हाजत-ए-रफ़ू क्या है
Karz Ki Peete The Mai Lekin Samjhte The Ki Haan
Rang Laavegi Hamari Faaqa-Masti Ek Din
क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हां
रंग लावेगी हमारी फ़ाक़ा-मस्ती एक दिन
Mai Se Garaz Nashaat Hai Kis Rusiyaah Ko
Ik Gunaah Bekhudi Mujhe Din Raat Chahiye
मै से ग़रज़ नशात है किस रूसियाह को
इक गुनाह बेखुदी मुझे दिन रात चाहिए
Yeh Masail-E-Tasavvuf Yeh Tera Bayaan Ghalib
Tujhe Hum Wali Samjhate Jo Na Bada-Khavar Hota
ये मसैल-ए-तसव्वुफ़ ये तेरा बयान ग़ालिब
तुझे हम वली समझते जो ना बड़ा खवर होता
Hoga Koi Aisa Bhi Ke Ghalib Ko Na Jaane
Shayar Toh Woh Accha Hai Par Badnaam Bahut Hai
होगा कोई ऐसा भी के ग़ालिब को ना जाने
शायर तो वो अच्छा है पर बदनाम बहुत है
Chand Tasvir-E-Butaan Chand Hasino Ke Khutut
Baad Marne Ke Mere Ghar Se Yeh Saaman Nikla
चंद तस्वीर-ए-बूतान चंद हसीनो के ख़ुतूत
बाद मरने के मेरे घर से ये सामान निकला
Mirza Ghalib Shayari
Bazicha-e-Atfal Hai Duniyan Mere Aage
Hota Hai Shab-o-Roz Tamasha Mere Aage
बाज़ीचा-ए-अतफल है दुनियां मेरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे
Meharban Ho Ke Bula Lo Mujhe Chahe Jis Waqt
Main Gaya Waqt Nahi Hoon Ke Phir Aa Bhi Na Sakun
मेहरबान हो के बुला लो मुझे चाहे जिस वक़्त
मैं गया वक़्त नहीं हूँ के फिर आ भी ना सकूँ
Dil-E-Nadaan Tujhe Hua Kya Hai
Aakhir Is Dard Ki Dawa Kya Hai
दिल-ए-नादान तुझे हुआ क्या है
आखिर इस दर्द की दवा क्या है
Koi Ummeed Bar Nahin Aati
Koi Surat Nazar Nahin Aati
कोई उम्मीद बर नहीं आती
कोई सूरत नज़र नहीं आती
Aashiq Hoon Par Mashooq Farebi Hai Mera Kaam
Majnu Ko Bura Kehti Hai Laila Mere Aage
आशिक़ हूँ पर माशूक़ फरेबी है मेरा काम
मजनू को बुरा कहती है लैला मेरे आगे
Jaate Huye Kehte Ho Qayamat Ko Milenge
Kya Khoob Qayamat Ka Hai Goya Koi Din Aurr
जाते हुए कहते हो क़यामत को मिलेंगे
क्या खूब क़यामत का है गोया कोई दिन और
Ghalib Shayari On Zindagi
Kabaa Kis Muh Se Jaoge Ghalib
Sharam Tumko Magar Nahi Aati
काबा किस मुँह से जाओगे ग़ालिब
शरम तुमको मगर नहीं आती
Hain Aur Bhi Duniyan Mein
Sukhanwar Bahut Acche
Kehte Hain Ke Ghalib Ka Hai
Andaaz-E-Bayaan Aurr
हैं और भी दुनिया में
सुख़नवर बहुत अच्छे
कहते हैं कि ग़ालिब का है
अंदाज़-ए-बयाँ और
Yeh Na Thi Hamari Qismat
Ke Visaal-e-Yaar Hota
Agar Aur Jeete Rehte
Yahi Intezaar Hota
ये न थी हमारी क़िस्मत
कि विसाल-ए-यार होता
अगर और जीते रहते
यही इंतेज़ार होता
Tere Waade Pe Jiye Hum
Toh Yeh Jaan Jhooth Jaana
Ke Khushi Se Mar Na Jaate
Agar Aitbaar Hota
तेरे वादे पर जिये हम
तो यह जान झूठ जाना
कि ख़ुशी से मर ना जाते
अगर एतबार होता
Hamko Malum Hai Zannat Ki Haqeeqat Lekin
Dil Ke Khush Rakhane Ke Ghalib Ye Khyaal Accha Hai
हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन
दिल के खुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़्याल अच्छा है
Har Ek Baat Pe Kehte Ho Tum
Ke Tu Kya Hai
Tum Hi Kaho Ke Yeh
Andaaz-e-Guftagu Kya Hai
Ragon Mein Daudte Firne Ke
Hum Nahi Kayal
Jab Aankh Hi Se Na Tapka
Toh Fir Lahu Kya Hai
हर एक बात पे कहते हो तुम
के तू क्या है
तुम ही कहो के ये
अंदाज़-ए-गुफ्तगू क्या है
रगों में दौड़ते फिरने के
हम नहीं कायल
जब आँख ही से ना टपका
तो फिर लहू क्या है
Ghalib Shayari On Love
Jala Hai Jisam Jahan Dil Bhi Jal Gaya Hoga
Kuredte Ho Joh Ab Raakh Justaju Kya Hai
Bana Hai Sheh Ka Musahib Fire Hai Itraata
Wagarna Shehar Mein Ghalib Ki Aabru Kya Hai
जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजू क्या है
बना है शह का मुसाहिब फिरे है इतराता
वगर्ना शहर में ग़ालिब की आबरू क्या है
Ye Rashk Ki Wo Hota Hai Hamsukhan Humse
Warana Khuf-E-Bdamoji-E-Adu Kya Hai
ये रश्क है कि वो होता है हमसुख़न हमसे
वरना ख़ौफ़-ए-बदामोज़ी-ए-अदू क्या है
Ishq Ne Ghalib Nikamma Kar Diya
Warna Hum Bhi Aadmi The Kaam Ke
इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया
वरना हम भी आदमी थे काम के
Ghalib Shayari On Love
Hope you love our collection of Ghalib Shayari On Love And if you like them, don’t forget to share them with your friends. We are continuously working to update and add new Ghalib Shayari here.
Mohabbat Mein Nahin Hai Farq
Jeene Aur Marne Ka
Usi Ko Dekh Kar Jeete Hain
Jis Qaafir Pe Dum Nikle
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़
जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं
जिस काफ़िर पे दम निकले
Hazaron Khwahishein Aisi
Ki Har Khwahish Pe Dum Nikle
Bahut Nikale Mere Armaan
Lekin Phir Bhi Kam Nikle
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी
कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान
लेकिन फिर भी कम निकले
Unke Dekhe Se Joh Aa Jaati Hai
Muh Par Raunak
Woh Samjhte Hain Ki Beemar Ka
Haal Accha Hai
उनके देखे से जो आ जाती है
मुँह पर रौनक
वो समझते हैं की बीमार का
हाल अच्छा है
Kitana Khauf Hota Hai Shaam Ke Andhero Mein
Pooch Un Parindo Se Jinke Ghar Nahi Hote
कितना ख़ौफ होता है शाम के अंधेरों में
पूछ उन परिंदों से जिनके घर नहीं होते
Ishq Par Zorr Nahi Hai Yeh Woh Aatish Ghalib
Ki Lagaye Na Lage Aur Bujhaye Na Bujhe
इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब
की लगाए ना लगे और बुझाए ना बुझे
Ghalib Shayari Rekhta
Esharat-E-Katara Hai Dariya Me Fana Ho Jana
Dard Ka Had Se Guzarana Hain Dawa Ho Jana
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना
Dil Se Teri Nigah Jigar Tak Utar Gayi
Dono Ko Ek Adaa Me Razamand Kar Gayi
दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई
दोनों को इक अदा में रज़ामंद कर गई
Aah Ko Chahaiye Ek Umar Asar Hote Tak
Kaun Jeeta Hai Tiri Zulfo Ke Sar Hone Tak
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक
Dard Minnat Kash-E-Dawa Na Hua
Main Na Accha Hua Na Bura Hua
दर्द मिन्नत काश-ए-दवा ना हुआ
मैं ना अच्छा हुआ ना बुरा हुआ
Woh Aaye Ghar Mein Hamare
Khuda Ki Qudrat Hai
Kabhi Hum Unko Kabhi
Apne Ghar Ko Dekhte Hain
वो आए घर में हमारे
खुदा की क़ुदरत हैं
कभी हम उनको कभी
अपने घर को देखते हैं
Nikalana Khuld Se Adam Ka Sunate Aaye Hai Lekin
Bahut Be-Aabaru Ho Kar Kire Kunche Se Ham Nikale
निकलना ख़ुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन
बहुत बे-आबरू हो कर तिरे कूचे से हम निकले
Na Tha Kuch Toh Khuda Tha
Kuch Na Hota Toh Khud Hota
Duboya Mujhko Hone Ne
Na Hota Main Toh Kya Hota
ना था कुछ तो ख़ुदा था
कुछ ना होता तो ख़ुदा होता
डुबोया मुझको होने ने
ना होता मैं तो क्या होता
Kaha May-Khane Ka Darwaza Ghalib Aur Kaha Vayiz
Par Itana Janate Hain Kal Wo Jata Tha Ki Ham Nikale
कहाँ मय-ख़ाने का दरवाज़ा ग़ालिब और कहाँ वाइज़
पर इतना जानते हैं कल वो जाता था कि हम निकले
Bana Kar Faqeeron Ka Hum Bhes Ghalib
Tamasha-E-Ahl-E-karam Dekhte Hain
बना कर फ़क़ीरों का हम भेस ग़ालिब
तमाशा-ए-अहल-ए-करम देखते हैं
Ghalib Shayari In Hindi
मिर्ज़ा ग़ालिब के ये कतात आज भी उतने ही ताज़ा लगते हैं जितने के उस वक़्त में होंगे। मिर्ज़ा ग़ालिब के शेर समझने में जितने आसान थे उतने ही मुश्किल भी थे हमने यहाँ आपको मिर्ज़ा ग़ालिब की कुछ हिंदी शायरी सुनाई है आशा करते हैं आपको Ghalib Shayari In Hindi ज़रूर पसंद आएगी।
Dard Jab Dil Mein Ho Toh Dawa Kijiye
Dil Hi Jab Dard Ho Toh Kya Kijiye
दर्द जब दिल में हो तो दवा कीजिए
दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजिए
Main Bhi Muh Mein Zabaan Rakhta Hoon
Kaash Pucho Ki Mudda Kya Hai
मैं भी मुँह में जुबां रखता हूँ
काश पूछो की मुद्दा क्या है
Ishq Mujhko Nahin Vehshat Hi Sahi
Meri Vehshat Teri Shohrat Hi Sahi
इश्क़ मुझको नहीं वेह्शत ही सही
मेरी वेह्शत तेरी शोहरत ही सही
Bak Raha Hoon Junoon Mein Kya Kya Kuch
Kuch Na Samjhe Khuda Kare Koi
बक रहा हूँ जूनून में क्या क्या कुछ
कुछ ना समझे खुदा करे कोई
Aa Hi Jaata Woh Raah Par Ghalib
Kai Din Aur Bhi Jiye Hote
आ ही जाता वो राह पर ग़ालिब
कई दिन और भी जिए होते
Jaan Tum Par Nisaar Karta Hoon
Main Nahin Jaanta Dua Kya Hai
जान तुम पर निसार करता हूँ
मैं नहीं जानता दुआ क्या है
Koi Virani Si Virani Hai
Dasht Ko Dekh Ke Ghar Yaad Aaya
कोई वीरानी सी वीरानी है
दश्त को देख के घर याद आया
Ghalib Chhuti Sharab Par Ab Bhi Kabhi Kabhi
Peeta Hoon Roz-E-Abr Aur Shab-E-Mehtab Mein
ग़ालिब छूटी शराब पर अब भी कभी कभी
पीता हूँ रोज़-ए-अब्र और शब्-ए-मेहताब में
Mirza Ghalib Love Shayari In Hindi 2 Lines
Qasid Ke Aate Aate Khat Ik Aur Likh Rakhun
Main Jaanta Hoon Joh Woh Likhenge Jawab Mein
क़सीद के आते आते खत इक और लिख रखूं
मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में
Hatho Ki Lakiron Pe Mat Ja Ae Ghalib
Naseeb Unke Bhi Hote Hain Jinke Hath Nahi Hote
हाथों की लकीरों पे मत जा ऐ गालिब
नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होते
Vaiz Teri Duwaon Mein Asar Ho To Masjid Ko Hilake Dekh
Nahi To Do Ghoont Pee Aur Masjid Hilata Dekh
वाइज़ तेरी दुआओं में असर हो तो मस्जिद को हिलाके देख
नहीं तो दो घूंट पी और मस्जिद को हिलता देख
Nazar Lage Na Kahi Uske Dast-O-Baju Ko
Yeh Log Kyun Mere Zakhm-E-Jigar Ko Dekhate Hai
नज़र लगे ना कहीं उसके दस्त-ओ-बाज़ू को
ये लोग क्यूँ मेरे ज़ख़्म-इ-जिगर को देखते हैं
Rahi Na Takat-E-Guftaar Aur Agar Ho Bhi
To Kis Ummeed Pe Kahiye Ke Aarzoo Kya Hai
रही ना ताक़त-ए-गुफ़्तार और अगर हो भी
तो किस उम्मीद पे कहिये के आरज़ू क्या है
Rekhte Ke Tum Hi Ustaad Nahi Ho Ghalib
Kehte Hain Agale Zamaane Mein Koi Meer Bhi Tha
रेख़्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो ग़ालिब
कहते हैं अगले ज़माने में कोई मीर भी था
Koi Mere Dil Se Puchhe Tere Teer-E-Neem-Kash Ko
Yeh Khalish Kaha Se Hoti Jo Jigar Ke Paar Hota
कोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीर-ए-नीम-कश को
ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता
Galib Ki Shayari Whatsapp Status
Tum Na Aaye To Kya Sahar Na Huyi
Haan Magar Chain Se Basar Na Huyi
Mera Nala Suna Zamane Ne
Ek Tum Ho Jise Khabar Na Huyi
तुम ना आए तो क्या सहर ना हुई
हाँ मगर चैन से बसर ना हुई
मेरा नाला सुना ज़माने ने
एक तुम हो जिसे ख़बर ना हुई
Hua Jab Gham Se Yun Behish
To Gham Kya Sar Ke Katane Ka
Na Hota Gar Judaa Tan Se
To Jahanu Par Dhara Hota
हुआ जब गम से यूँ बेहिश
तो गम क्या सर के कटने का
ना होता गर जुदा तन से
तो जहानु पर धरा होता
Woh Cheez Jiske Liye Hamko Ho Bahisht Azeez
Siwaye Bada-E-Gulfaam-E-Mushkabu Kya Hai
वो चीज़ जिसके लिये हमको हो बहिश्त अज़ीज़
सिवाए बादा-ए-गुल्फ़ाम-ए-मुश्कबू क्या है
Yeh Hum Jo Hizr Mein Deewaar-O-Dar Ko dekhate Hain
Kabhi Saba Ko Kabhi Namaabar Ko Dekhate Hai
ये हम जो हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं
कभी सबा को कभी नामाबर को देखते हैं
Tere Zawahire Tarfe Kal Ko Kya Dekh
Hum Auze Tale Laal-O-Guhar Ko Dekhate Hai
तेरे ज़वाहिरे तर्फ़े कुल को क्या देखें
हम औजे तले लाल-ओ-गुहर को देखते हैं
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